आर्यसमाज
सृष्टि के आरम्भ से ईश्वर ने सच्चे ज्ञान, वेदों को प्रकट करके मनुष्यों पर अपनी दया दिखायी | महाभारत काल तक, लोग वैदिक धर्म का सख्ती से पालन करते थे | बाद में, कुछ लोगों ने अपने स्वार्थवश विरोधाभासी धार्मिक विचार प्रस्तुत किए। इन्होंने जीवन के सभी पहलुओं अर्थात् धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में भ्रम व्याप्त किया।
महर्षि दयानन्द ने देव दूत की तरह आकर विश्व में व्याप्त अज्ञान, अविद्या, पाखण्ड, कुरीतियों के बादलो को हटाकर पुनः वेदज्ञान रूपी सूर्य का प्रकाश चहु ओर कर दिया। उसी प्रकाश को आगे बढाने के लिए उन्होने आर्य समाज की स्थापना १८७५ में मुंबई में मथुरा के महर्षि विरजानंद how to write a great biology lab report की प्रेरणा से की थी | स्थापना करते समय महर्षि दयानन्द ने कहा था की आर्यसमाज को सदा परोपकार के कार्य एवं पुरूषार्थ करते रहना होगा । आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्”, जिसका अर्थ है – विश्व को आर्य बनाते चलो। इसने छुआछूत व जातिगत भेदभाव का विरोध किया तथा स्त्रियों व शूद्रों को भी यज्ञोपवीत धारण करने व वेद पढ़ने का अधिकार दिया | महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित “सत्यार्थ प्रकाश” नामक ग्रन्थ आर्य समाज का मूल ग्रन्थ है।
आर्यसमाज नोएड़ा का इतिहास
महर्षि दयानन्द ने देव दूत की तरह आकर विश्व में व्याप्त अज्ञान, अविद्या, पाखण्ड, कुरीतियों के बादलो को हटाकर पुनः वेदज्ञान रूपी सूर्य का प्रकाश चहु ओर कर दिया। उसी प्रकाश को आगे बढाने के लिए उन्होने आर्यसमाज की स्थापना की। स्थापना करते समय महर्षि दयानन्द ने कहा था की आर्यसमाज को सदा परोपकार के कार्य एवं पुरूषार्थ करते रहना होगा । पुरातन हो चुकी आर्यसमाज की प्रणाली को आवश्यकता थी एक नई दिषा देने की । इसी पवचार करे ध्यान मे रखते हुए आर्यसमाज नोएडा ने पुरी दुनिया के सामने एक अद्भुत उदाहरण प्रसतुज किया । अपने पावन प्रांगण में आर्षगुरूकुल की स्थापना की । ़ऋषि के आदेश अनुसार परोपकार एवं पुरूषार्थ की निसाल देष की। आर्षगुरूकुल में राजा-रकं अमीर-गरीब सभी बालक समान भाव से रहते हुए कृष्ण सुदामा की तरह निःशुल्क शिक्षा व संस्कार प्राप्त करते हैं। अल्प समय में ही आर्षगुरूकुल के ब्रह्मचारीयों मेंसफलता की नई उचाईयों को छुआ ब्रह्मचारी राजकिशोर ने नेट परीक्षा पास की । ब्रह्मचारी सन्तोस, आशुतोष,मनुदेव आदि सकारी विद्यालयों में प्रवक्ता प्राप्त कर रहे है।
आर्यसमाज ने अपने प्रांगण में वानप्रस्थाश्रम की भी स्थपना की है। जिसमे 25 वानप्रस्थी निवास करते हुये साधना करते हैं। एक बृहद पुस्तकालय, वाचनालय, होम्योपैथिक, दन्त चिकित्सालय, आधुनिक योग केन्द्र समस्त कार्य केवल दान से चलते हैं। अपने बच्चों को दुनिया पढाती है। इंसान वह है जो दूसरों के बच्चों को भी पढाने का करें। अतः आपसे निवेदन है कि उदारता से सहयोग करंे।
आर्यसमाज नोएड़ा- लगभग पिछले 34 वर्षों से आर्यसमाज सैक्टर-33 नोएड़ा में आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा, मन्दिर मार्ग, नई दिल्ली के तत्त्वावधान में नोएड़ा नगरी में सजग प्रहरी की भांति अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहा हैै। नोएड़ा नगरी की समाज सेवी संस्थाओं में आर्यसमाज अपना अग्रणी स्थान रखता है। लोकहित के लिए आर्यसमाज नोएड़ा ने समाज हितकारी निम्नलिखित उपक्रम चला रखे हैं।
वानप्रस्थाश्रम नोएड़ा- 50 वर्ष से अधिक की आयु के आर्य महानुभावों द्वारा साधना एवं आर्यसमाज नोएड़ा द्वारा संचालित निम्न गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालन में सहयोग देने हेतु 20 कक्षों का निर्माण अभी तक हो चुका है।
पुस्तकालय एंव वाचनालय- श्री भगवान शरण तायल की पुण्य स्मृति में श्री प्रदीप तायल द्वारा प्रदत्त 8 लाख की लागत से निर्मित एक बृहत्तम पुस्तकालय की स्थापना की गई है लगभग सभी प्रकार का वैदिक साहित्य पुस्तकालय में रखने का प्रयास किया गया है समाचर पत्र एवं कई आर्य पत्र-पत्रिकायें नियमित रूप से मंगवाई जाती है। महर्षि दयानन्दकृत सत्यार्थप्रकाश अधिकतर भाषाओं में उपलब्ध है। आम जनता के लिये पचास रूपये का सत्यार्थप्रकाश तीस रूपये में दिया जाता है एवं वैदिक साहित्य निःशुल्क वितरित किया जाता है।
संगणक विभाग (कम्प्यूटर)- आर्ष गुरूकुल नोएड़ा के ब्रह्मचारियों को कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करने हेतु कम्प्यूटर विभाग की स्थापना की गई है जिसका इस वर्ष और विस्तारीकरण किया गया है। श्री महेशचन्द्र गोयल एवं श्रीमती सरोजचन्द्र गोयल जी द्वारा 80000 के आर्थिक सहयोग से एक बृहत् कम्प्यूटर कक्ष की स्थापना की गई जिसमें महेशचन्द्र गोयल द्वारा दो कम्प्यूटर भी प्रदान किये। वर्तमान में सगणक विभाग में कम्प्यूटर की संख्या 15 हो गई है।
निःशुल्क होम्योपैथिक आयुर्वेदिक चिकित्सा- श्री धर्मपाल वर्मा द्वारा प्रदत्त दान से ‘श्री पुरूषोत्तमलाल धर्म होम्योपैथिक चिकित्सालय की स्थापना की है जिसमें निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की गई। अनेकों व्र्यिक्त इस सेवा से लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
पारिवारिक एवं दैनिक सत्संगों का आयोजन- प्रत्येक रविवार प्रातः 08 बजे से 10 बजे तक व प्रत्येक बृहस्पतिवार सांय 04 से 06 से बजे तक पारिवारिक सत्संगों का आयोजन किया जाता हैै। उच्चकोटि के विद्वानों के प्रवचनों की व्यवस्था की जाती है। दैनिक सत्संग do my homework online आर्यसमाज भवन में प्रातः 08ः00 बजे 10ः00 बजे तक व सांय 06ः30 बजे से 07ः30 बजे तक आयोजित किया जाता है। जिसका संचालन आर्ष गुरूकुल नोएड़ा के आचार्यगण व ब्रह्मचारी मिलकर करते हैं। प्रतिदिन प्रातः व सांय संध्या हवन योगासन आदि का नियमित रूप से आयोजन किया जाता है।
वैदिक संस्कार- नोएड़ा नगरी के विभिन्न क्षेत्रों में हमारे आचार्यों द्वारा अनेक संस्कार करवाये जाते हैं। जिससे वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार में विशेष सहायता मिलती है। प्रत्येक यजमानको वैदिक साहित्य आदि देने का प्रयास किया जाता है।
परायण यज्ञों एवं वंद कथा आदि का आयोजन – आर्यसमाज नोएडा के आचार्यो द्वारा पूरे वर्ष दिल्ली, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, मंेरठ आदि स्थानो एवं नोएडा के आसपास के क्षेत्रो में वेद कथाओं व परायण यज्ञ करवाए जाते है। इससे यज्ञ एवं वेदों के प्रचार-प्रसार में अत्यन्त सहायता मिली ।
उत्तम हवन सामग्री कुण्ड, समिधा आदि की उचित व्यवस्था- यजमानो की सुमवधा हेतु ये सब सामान सेस्था में प्रत्येक समय उपलब्ध रहते है।
आर्यपर्व, राष्ट्रीय पर्व एवं शहीद दिवसो का आयोजन- आर्यपर्व राष्ट्रीय पर्व एवं शहीद दिवसो का आयोजन किया जाता है। आर्यवीर अमर शहीद पं रामप्रसाद बिस्मिल जी का शहीद दिवस कवि सम्मेलन के रूप में मानाया जाता एवं कई अन्य देश भक्तो को याद किया जाता है। शहीद भगत सिहं , राजगुरू, सुखदेव का शहीद दिवस बडे धूम धाम से मनाया गया है।
कार्यालय की सेवाएं – प्रत्येक प्रकार की सहायतार्थ कार्यालय सैक्टर-33 की सेवाएं प्रातः आठ बजे से रात्रि आठ बजे तक उपलब्ध रहती है।
महिला आर्यसमाज- आर्यसमाज नोएडा के अन्तर्गत ही महिला समाज भी क्रियाशील है। सभी सभासद अपने-अपने उत्तरदायित्व का भली भांति निर्वाहकर रहे है। महिलाओं ने नोएडा में अपना विशेष सहयाग वेदो का प्रचार- प्रसार में दिया है।
आप सहयोग इस प्रकार कर सकते हैं-
एक ब्रह्मचारी का वार्षिक शिक्षा व्यय 18000/- मात्र
एक ब्रह्मचारी का वार्षिक भोजन व्यय 24000/- मात्र
सभी ब्रह्मचारीयों के लिए एक दिन का तीन समय का सादा भोजन 10000/- मात्र
सभी ब्रह्मचारीयों एवं आश्रमवासीयों के लिए एक समय का विशेष भोजन 5500/- मात्र
सभी ब्रह्मचारीयों के लिए सादा भेजन 3500/- मात्र