आर्य समाज मंदिर!

आर्ष गुरूकुल नोएड़ा की स्थापाना 08 जनवरी 1994 को अनेक विद्वानों, सन्यासियों की उपस्थिति में हुई जिनमें स्वामी ओमानन्द सरस्वती, श्री रामचन्द्र राव वन्देमातरम्, स्वामी सत्यपति परिव्राजक आदि मुख्य थे। आर्यसमाज नोएड़ा मई 1985 से नोएड़ा नगरी में क्रियाशील है। प्रारम्भिक दिनों में व्यक्तिगत आवासों पर how to write a good lab report biology example copy सत्संग आदि की क्रियाशीलता के बढते-बढते बृहद रूप धारण किया और आर्ष गुरूकुल नोएड़ा को स्थापित कर गरीब और असहाय बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा, वस्त्र तथा संस्कार प्रदान कर रहा है।

महर्षि दयानन्द ने देव दूत की तरह आकर विश्व में व्याप्त अज्ञान, अविद्या, पाखण्ड, कुरीतियों के बादलो को हटाकर पुनः वेदज्ञान रूपी सूर्य का प्रकाश चहु ओर कर दिया। उसी प्रकाश को आगे बढाने के लिए उन्होने आर्यसमाज की स्थापना की। स्थापना करते समय महर्षि दयानन्द ने कहा था की आर्यसमाज को सदा do my homework cheap परोपकार के कार्य एवं पुरूषार्थ करते रहना होगा । पुरातन हो चुकी आर्यसमाज की प्रणाली को आवश्यकता थी एक नई दिषा देने की । इसी पवचार करे ध्यान मे रखते हुए आर्यसमाज नोएडा ने पुरी दुनिया के सामने एक अद्भुत उदाहरण प्रसतुज किया ।